अकबर और बीरबल  

नोट : अकबर मुग़ल काल के तीसरे बादशाह थे। अकबर को मुग़ल काल के एक महान शासक के रूप में याद किया जाता है। यह हुमायूँ के पुत्र थें। अकबर का शासनकाल 1556 से 1605 ईस्वी तक था। अकबर के दरबार में नवरत्न थे। इन्हीं नवरत्नों में से एक का नाम बीरबल था। बीरबल बादशाह अकबर के मुख्य सलाहकार थे। बीरबल बुद्धिमान और किसी समस्या का समाधान ढूँढने में निपुण थे। बीरबल की वाकविदग्धता का लोहा हर कोई मानता था। अकबर और बीरबल के क़िस्से काफ़ी मशहूर हैं। उन्हीं में से एक आपके लिए पेश है :

कौवों की गिनती

सर्दियों का मौसम था। एक दिन बहुत अच्छी गुनगुनी धूप खिली हुई थी। अकबर और बीरबल महल के बाग़ीचे में आराम से टहल रहे थे। बादशाह अकबर के सोचा कि बीरबल की बुद्धिमानी की परीक्षा ली जाय। बादशाह ने एक मुश्क़िल सवाल सोचा।
बादशाह ने बीरबल से पूछा कि, “बीरबल, हमारे राज्य में कुल कितने कौवे हैं?”
बीरबल समझ गये की बादशाह मज़ाक कर रहे हैं। बीरबल ने बादशाह से एक मिनट का समय लिया। और, कहा। 
"हुज़ूर! हमारे साम्राज्य में कुल अस्सी हजार नौ सौ इकहत्तर कौवे हैं।”
बीरबल का यह जवाब सुनकर बादशाह अकबर बहुत हैरान हुए। वे आश्चर्यचकित रह गए। फिर उन्होंने बीरबल से पूछा कि, “अगर इससे ज्यादा हुए तो?”
बीरबल ने जवाब दिया, “ऐसे में हो सकता है कि, वे दूसरे राज्यों से आए हुए हों।”
अकबर ने पूछा कि, “अगर कम हुए तो?”
बीरबल ने मुस्कुरा कर जवाब दिया, “हुज़ूर तो फिर वे दूसरे राज्यों में चले गए होंगे!”
यह सुनकर अकबर, बीरबल की हास्यवृत्ति, चतुराई और वाक्–पटुता पर बहुत ख़ुश हुए।

- मनीष पटेल