तिब्बत

तिब्बत को दुनिया की छत कहा जाता है। क्योंकि, यह बहुत ऊँचे पठार पर स्थित है। पहाड़ के ऊपर समतल ज़मीन को पठार कहा जाता है। यह मैदान से ऊँचा और पहाड़ से नीचा होता है। तिब्बत के पठार पर ऊँचे-ऊँचे पहाड़ हैं। यह पहाड़ हिमालय का हिस्सा हैं। ये पहाड़ कई रंगों के हैं। जैसे - भूरे, लाल, पीले, बैंगनी, गुलाबी और हरे आदि। ये ठीक वैसे ही हैं जैसे, बच्चे अपने चित्रों में मनचाहे रंग भर देते हैं। इन पहाड़ों पर तरह-तरह की मिट्टी और खनिज पदार्थ हैं। सूरज की किरणें जब इन पर पड़ती है तब ये बहुत ख़ूबसूरत लगते हैं। 


तिब्बत में बारिश और बर्फ़बारी बहुत कम होती है। यहाँ की हवा में नमी बहुत कम है। यहाँ का मौसम खुश्क होता है। यहाँ कम पेड़-पौधे उगते हैं। लेकिन, तिब्बत का पूर्बी हिस्सा अलग है। वहाँ घने जंगल पाए जाते हैं। इन जंगलों में पेड़-पौधों और पशु-पक्षियों की दुर्लभ प्रजातियाँ पायी जाती हैं।
तिब्बत में लगभग 1500 झीलें हैं। ये झीलें पहाड़ों की बर्फ़ पिघलने से बनती हैं। यहाँ बहुत सर्दी पड़ती है। यहाँ बहुत तेज़ ठंडी हवाएँ चलती हैं। यहाँ के लोग हमेशा भारी-भरकम और गर्म कपड़े पहनते हैं।


तिब्बत में लोग लकड़ी के घर बनाते हैं। ये घर बहुमंज़िला होते हैं। आजकल, लोग पत्थर, मिट्टी और सीमेंट के भी घर बनाते हैं। घरों में बहुत सारी खिड़कियाँ बनायी जाती हैं। इससे सूरज की रोशनी घर के अंदर आसानी से आती है। इन घरों की दीवारें अंदर की ओर झुकी होती हैं, जिससे भूकम्प आने पर न गिरें। 


ल्हासा, तिब्बत का सबसे बड़ा शहर है। यह 3650 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। यह दुनिया का सबसे ऊँचा शहर माना जाता है। यहाँ का बाज़ार कपड़े तथा खाने-पीने की चीज़ों के लिए बहुत प्रसिद्ध है। ल्हासा तिब्बत का दिल है। 

 

स्रोत : राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसन्धान और प्रशिक्षण परिषद।