रक्षाबंधन

रक्षाबंधन हिन्दू और जैन धर्म का एक त्योहार है। यह बहुत पुराना त्योहार है। कहते हैं, पुराने समय में, जब सैनिक युद्ध में जाते थे, तब बहनें उनके माथे पर तिलक लगातीं और कलाई पर राखी बाँधती थीं। राखी बाँधकर वे मन ही मन दुआ करती थीं कि, "यह राखी मेरे भाई को सब संकटों से बचाये।" राखी बँधवाकर सैनिक अपने देश की और माँ-बहनों की रक्षा का प्रण करते थे। 

बहुत समय पहले चित्तौड़ पर एक महिला शासन करती थी। उसका नाम महारानी कर्णावती था। उनके चित्तौड़ राज्य पर एक पड़ोसी राजा ने हमला कर दिया। चित्तौड़ की महारानी कर्णावती अकेली उसका मुक़ाबला न कर सकी। उसने दिल्ली के बादशाह हुमायूँ को राखी भेजकर सहायता के लिए बुलाया। राखी मिलते ही हुमायूँ सब काम छोड़कर अपनी बहन कर्णावती की सहायता के लिए चल पड़ा।

आज भी रक्षाबंधन के दिन जब बहन अपने भाई को राखी बाँधती है। वह प्रार्थना करती है कि राखी उसके भाई को संकटों से बचाये। भाई बहन से राखी बँधवाता है। इसका अर्थ है कि, वह हमेशा बहन की रक्षा करेगा। इसलिए, राखी का बंधन, रक्षा का बंधन माना जाता है। इसीलिए, इस त्योहार को रक्षाबंधन कहते हैं। 

 

नोट : आज के समय में एक प्रगतिशील और नारीवादी समूह इस त्योहार की आलोचना करता है। इस समूह का मानना है कि, यह त्योहार एक स्त्री की पुरुष पर सुरक्षा के लिए निर्भरता को दिखता है। 

 


Edited by : मनीष पटेल 
स्रोत : Bihar State Textbook Publishing Corporation Limited (www.bstbpc.gov.in)