
राजा नंगा है
नोट : इस कहानी का पुनर्कथन 19वीं सदी के डेनिश लेखक हैन्स क्रिश्चियन एण्डर्सन ने नव-औपनिवेशिक सन्दर्भ में किया है।
एक राजा था। वह नये-नये कपड़े पहनने का बहुत ही शौक़ीन था। एक बार, दो ठगों के यह बात पता चल गयी। उन ठगों ने राजा को बेवकूफ़ बनाने का निर्णय लिया। वे राजा के दरबार में गए। उन ठगों ने यह दावा किया कि, वे राजा के लिए ऐसी सुन्दर पोशाक़ तैयार करेंगे जैसा कोई सपने में भी नहीं सोच सकता है। उन ठगों कहा कि, इस पोशाक़ की सबसे बड़ी ख़ूबी यह होगी कि वह किसी मूर्ख व्यक्ति या अपने पद के लिए अयोग्य व्यक्ति को दिखायी नहीं देगी। राजा ने तुरन्त अपने लिए ऐसी पोशाक़ बनाने को आदेश दे दिया और दोनों ठग बुनने, काटने और सिलने का अभिनय करने में जुट गये। राजा ने कई बार अपने मन्त्रियों को काम की रफ़्तार देखने के लिए भेजा और हर बार उन्होंने उसे बताया कि वे अपनी आँखों से नये वस्त्रों को देखकर आ रहे हैं। वे वाकई बेहद ख़ूबसूरत हैं। दरअसल, राजा के मन्त्रियों ने कुछ भी नहीं देखा था, पर वे मूर्ख कहलाना नहीं चाहते थे। साथ ही, वे अपने पदों के लिए अयोग्य भी नहीं घोषित किया जाना चाहते थे।
राजा ने तय किया कि जिस दिन नयी पोशाक़ तैयार हो जायेगी, उस दिन एक भव्य समारोह होगा। और, राजा नयी पोशाक़ पहनकर नगर में निकलेगा। राज्यभर में इसकी मुनादी करवा दी गयी।
जब वह दिन आया तो ठगों ने राजा के सारे कपड़े उतरवा दिये। फिर वे देर तक उसे नये परिधान में सजाने-धजाने का अभिनय करते रहे। राजा के दरबारियों और नौकर-चाकरों ने एक स्वर में उसकी तारीफ़ों के पुल बाँधने शुरू कर दिये क्योंकि वे नहीं चाहते थे कि वे मूर्ख कहलायें या अपने पदों के लिए अयोग्य घोषित कर दिये जायें। राजा ने सन्तुष्ट भाव से सर हिलाया और नंगधड़ंग बाहर चल पड़ा।
रास्ते के दोनों तरफ़ खड़े लोग भी मूर्ख कहलाना नहीं चाहते थे। वे सब के सब राजा की नयी पोशाक़ की इस तरह से प्रशंसा कर रहे थे जैसे वे उसे साफ़-साफ़ देख रहे हों। लेकिन तभी एक बच्चा बड़ी मासूमियत से बोल पड़ा, “अरे, उस आदमी ने तो कुछ पहना ही नहीं है!”
भीड़ के कानों में यह बात पड़ते ही चारों तरफ़ फैल गयी और जल्दी ही हर आदमी हँस रहा था और चिल्ला रहा थाः “अरे सच! राजा के बदन पर एक सूत भी नहीं है।” अचानक राजा की समझ में आया कि उसे धोखा दिया गया है। लेकिन अब तो खेल शुरू हो चुका था और उसे बीच में रोकने का मतलब होता, और बेइज़्ज़ती। उसने तय किया कि वह इसे जारी रखेगा और सीना फुलाकर आगे चल दिया।
( हैंस क्रिश्चियन एंडर्सन डेनमार्क के एक विश्व प्रसिद्ध लेखक एवं कवि थे। वे बच्चों के लिये कहानियाँ लिखने के लिए जाने जाते हैं। वे दुनिया भर के बच्चों का मनोरंजन करने के लिये बहुत काम किया। वे बच्चों के बीच काफ़ी मशहूर थे। उनकी कविताओं और कहानियों का अनुवाद विश्व की 150 से अधिक भाषाओं में हुआ है। इनकी रचनाओं पर चलचित्र, नाटक, एवं एनिमेटेड फिल्में बनी हैं। एंडर्सन द्वारा सृजित सबसे चर्चित चरित्र 'लिटिल मर्मेड' है। 'लिटिल मर्मेड' दुनिया भर के बच्चों की दुलारी है। हिन्दी के नयी कहानी दौर के लेखक निर्मल वर्मा एक ने एक बार डेनमार्क की यात्रा की थी। इस यात्रा पर आधारित एक यात्रावृतांत उन्होंने लिखा है जिसका नाम है - रोती हुई मर्मेड का शहर ।)