
एक खरगोश ने एक भालू को मारकर खा लिया
दोपहर का समय था। एक जंगल में, एक गुफ़ा के बाहर एक खरगोश बैठा जल्दी-जल्दी अपने टाइपराइटर से कुछ टाइप कर रहा थाl
तभी, वहाँ से एक लोमड़ी गुज़री। लोमड़ी ने यह सब देखकर खरगोश से पूछा। तुम यह क्या कर रहे हो ?
खरगोश ने कहा, मैं थीसिस लिख रहा हूँ।
लोमड़ी मुस्कुरायी और कहा, अच्छा ! तुम किस बारे में थीसिस लिख रहे हो ?
खरगोश ने कहा यही कि, "खरगोश किस तरह लोमड़ी को मारकर खा जाता है ?"
लोमड़ी - क्या बकवास है !! यह तो कोई मूर्ख भी बता देगा कि, खरगोश कभी लोमड़ी को मारकर खा ही नहीं सकता।
खरगोश - आओ! मैं तुम्हें दिखाता हूँ।
ये कहकर खरगोश लोमड़ी के साथ गुफ़ा में घुसा और कुछ मिनट बाद लोमड़ी की हड्डियाँ लेकर वापस आया।
और, दोबारा वहीं बैठकर टाइप करने में व्यस्त हो गया।
थोड़ी देर बाद, वहाँ से एक भेड़िया घूमता-घामता आया और खरगोश से पूछा ?
भाई इतने ध्यान से क्या लिख रहे हो ?
खरगोश - थीसिस लिख रहा हूँ।
भेड़िया - हाहाहा! थीसिस !!
किस बारे में ?
खरगोश - मेरे थीसिस का विषय है कि, "एक खरगोश किस तरह एक भेड़िये को खा गया"
भेड़िया - गुस्से में! मूर्ख ये कभी हो ही नहीं सकता।
खरगोश - अच्छा ! आओ, तुम्हें सबूत दिखता हूँ।
यह कहकर खरगोश भेड़िये को उस गुफ़ा में ले गया।
थोड़ी देर बाद, खरगोश भेड़िये की हड्डी लेकर बाहर निकला।
और, फिर टाइपिंग में मशरूफ़ हो गया।
उसी वक़्त, वहाँ से एक भालू गुज़रा। उसने पूछा, ये हड्डियाँ कैसी पड़ी हैं ?
खरगोश ने कहा, एक खरगोश ने इन्हें मार दिया।
भालू ठहाका मारकर हँसा। और, बोला अच्छा मज़ाक करते हो।
भालू लोटपोट होते हुए बोला, अच्छा! कोई बात नहीं ! अब बताओ कि ये लिख क्या रहे हो ?
खरगोश - थीसिस लिख रहा हूँ कि, "एक खरगोश ने एक भालू को मार के कैसे खा लिया"
भालू - क्या कह रहे हो ? कमाल है ! ये कभी नहीं हो सकता।
खरगोश - चलो दिखाता हूँ।
खरगोश भालू को गुफ़ा में ले गया।
वहाँ एक शेर बैठा था।
सार:
इसीलिए ये मायने नहीं रखता कि, आपकी थीसिस कितनी बकवास या बेबुनियाद है।
मायने यह रखता है कि,
आपका सुपरवाइज़र कितना ताक़तवर है।
नोट : यह कहानी सोशल मीडिया पर काफ़ी दिनों से घूम रही थी, इसे मैने वहीं से लिया है। इसके मूल लेखक का पता नही है। मैने अपनी सुविधानुसार थोड़ा बहुत सुधार किया है।
-Manish Patel